परिवर्तन !! कितना सार्थक !!
पहचानिए इस स्थान को !! यह है, ऐतिहासिक लक्ष्मण झुला से लगा क्षेत्र , " तपोवन ", लक्ष्मण , भरत, व ध्रुव जैसे तपस्वियों ऋषि-मुनियों की तपोभूमि !! कभी यहाँ से गुजरते हुए बासमती धान की महक आने- जाने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करती थी और यहाँ का बासमती चावल दुनिया में मशहूर था !!लेकिन आज यह स्थान भौतिक चकाचौंध में चौंधिया रहा है ! स्थानीय निवासियों से कौड़ियों के भाव खरीदी गयी यह भूमि आज महज कंक्रीट का जंगल बनकर रह गयी है.गेस्ट हाउसों की भरमार है !!
जिन किसानों का पसीना,
बासमती की सुगंध के रूप में परिवर्तित हो इस क्षेत्र को महकाता था !! वे
लोग आज यहाँ के गेस्ट हाउसों में मजदूरी सदृश कार्य कर जीवन यापन को मजबूर
हैं !! इस क्षेत्र के भौतिकवाद का ग्रास बने महज 35 साल ही हुए हैं !!
यह परिवर्तन सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के क्रम में कितना सार्थक साबित हुआ !! शायद आपके पास उत्तर अवश्य होगा !!
यह परिवर्तन सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के क्रम में कितना सार्थक साबित हुआ !! शायद आपके पास उत्तर अवश्य होगा !!
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