कुछ मनोभाव ____
कुछ पाने की हवस में
खुद को भूल जाता है आदमी,
रह जाता है यहीं सब
साथ क्या ले जाता है आदमी !!
~ विजय जयाड़ा
सुनसान है वो स्थान !! जहां संगीतमय स्वर लहरियाँ गुंजायमान होती थीं ! थिरकते पैरों में बंधे घुंघरुओं की छम छम भी, इस दुर्ग को बहुत पहले अलविदा कह गई !!
जयगढ़ दुर्ग का हर पत्थर सुनहरे अतीत को पुकारते- पुकारते थक कर मूक हो गया प्रतीत होता है ! जीवन्त अतीत की यादें संजोए जयगढ़ दुर्ग पथराई आँखों से हर आने - जाने वाले में कुछ टटोलता, मौन टकटकी लगाये सुनहरे अतीत की प्रतीक्षा में जड़वत् सा खड़ा है।
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