मेरी यात्रा डायरी
Sunday, 27 September 2015
एक शाम .. गंगा तट के नाम ..
एक शाम .. गंगा तट के नाम ..
आइए .. अल्हड़, मासूम, निश्छल और मस्त बचपन को निहार लें !! अपना बचपन याद कर के थोड़ा मुस्करा लें !!
" नहर बतलाकर .... बर्फ में डुबा दिया रे !!!! भाग पप्पू भाग !!! अब तेरी बारी है
. :P :D
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