Wednesday 30 March 2016

छोटी मगर दिल को छू लेने वाली बातें !!



छोटी मगर दिल को छू लेने वाली बातें !!

                 आवश्यक नहीं लम्बे आपसी व्यवहार के बाद ही परस्पर आत्मीयता बने. कभी-कभी बहुत छोटी सी लेकिन अहम् बात, आत्मीयता व सम्मान उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त होती है ...
                 ऋषिकेश-नीलकंठ मार्ग से हटकर प्राचीन झिलमिल गुफा से वापस आते हुए कोठार गाँव की चढ़ाई पर जब अधिक प्यास महसूस हुई तो चोटी पर रुककर इन महोदय की दुकान पर पानी की बोतल मांगी, स्वाभाविक सी बात है दूसरा कोई दुकानदार, तुरंत पानी की बोतल थमा देता, लेकिन इन्होंने कहा .. " पानी की बोतल भी है और सादा पानी भी !! आपकी मर्जी, जो लेना चाहें ले सकते हैं !!" भला पहाड़ के पानी को छोड़कर हम बोतल बंद पानी को क्यों पीते !!
                 आप हैं भंडारी जी, आपकी सरलता, सहृदयता और ईमानदारी देखिये !! वीरान से स्थान पर चाय-पान की दुकान लगाये, जहाँ कोई यात्री दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा था !!! इन महोदय ने पानी की बोतल से मिलने वाले धन का लालच त्याग, हमें विकल्प भी बता दिया !! .
             हो सकता है आप इस प्रसंग को अधिक महत्व न दें लेकिन इस वाकये ने मुझे बहुत प्रभावित किया. फिर तो चाय की चुस्कियों के साथ बातों का काफिला कहीं दूर निकल चला.... संज्ञान लेने वाली बात ये भी है कि भंडारी जी काफी समय दिल्ली में रह चुके हैं लेकिन उन पर दिल्ली की व्यावसायिक मनोवृत्ति का मुलम्मा चढ़ा हो , ऐसा महसूस नहीं हुआ।
                सच कहूँ भंडारी जी, जहाँ एक तरफ समाज में आपसी सम्बन्धों को व्यावसायिक मनोवृत्ति लील रही है वहीं आपकी सरलता, सह्रदयता व ईमानदारी ने हमारा दिल जीत लिया .



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