Wednesday 30 March 2016

हजरत ख्वाजा बुद्रद्दीन समरकंदी चिस्ती साहब की दरगाह फिरोजशाह कोटला : दिल्ली




 
बादशाह की बादशाहत खंडहर हो गयी,
झोपड़ी में फ़कीर की चिराग रोशन रहा !!
रूहानी ताकत का असर हुआ इस कदर,
फ़कीर की खुदाई ने मंजर बदल दिया !!
^^ विजय जयाड़ा
 
                     सन 1354 में फिरोजशाह तुगलक ने, आज के पुराने किले और शाहजहाँ की पुरानी दिल्ली के बीच या कहिये खुनी दरवाजे के समीप, पांचवी दिल्ली, अर्थात फिरोजाबाद शहर बसाया और फिरोजशाह कोटला ( कोटला=किला ) बनाया तो हजरत ख्वाजा बुद्रद्दीन समरकंदी चिस्ती साहब की दरगाह किले की बाहरी दीवार के बीच आ गयी लेकिन खवाजा साहब के नूर के आगे बादशाहत को झुकना पड़ा.. और किले की दीवार को उस जगह पर सीधा न ले जाकर समकोण की तरह मोड़ दिया गया .. आज दरगाह रोशन है, हर धर्म के लोग मन्नत मांगने आते हैं लेकिन किला पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चूका है.तस्वीर में आसमानी रंग की संरचना ख्वाजा साहब की दरगाह है किले की मुड़ी हुई दीवार को भी देखा जा सकता है....

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