Thursday 10 March 2016

बाल-बलिदानी व शौर्य गाथा दीर्घा : लाल किला



बाल-बलिदानी व शौर्य गाथा दीर्घा : लाल किला

उम्र के उस दौर में हम
  खुश होते थे खिलौनों से खेल कर !
सीने पे खायी गोलियां और
     चूम लिया फंदा ! उन्होंने ___
   सरफरोशी की तमन्ना कह कर !!
.. ..विजय जयाड़ा
 
       लाल किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मूक लेकिन चश्मदीद गवाह है. जब भी यहाँ पहुँचता हूँ हर बार कुछ नया मिल जाता है ! ब्रिटिश काल में भारत मां की आजादी हेतु कई ज्ञात-अज्ञात और हर उम्र के लोगों ने देशप्रेम की बलिवेदी पर अपना सब कुछ न्यौछावर किया. इनमें कई मासूम बच्चे भी थे ! लेकिन दुर्भाग्य ! उनकी कुर्बानियों से कवि, लेखकों, इतिहासकारों की कलम अछूती ही रही !! आज भी हम राष्ट्रीय पर्वों पर इन बाल बलिदानियों को यथोचित रूप में याद नहीं करते !
          ये बाल शूरवीर, डॉक्टर, इंजीनियर, कवि, लेखक, उद्योगपति या व्यापारी बनकर भी सुखमय जीवन जी सकते थे लेकिन इन मासूमों ने मातृभूमि के लिए बलिदान मांगने वाला पथ चुना !
           पिछले दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लाल किले के स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में शहीद स्मृति चेतना समिति द्वारा गहन शोध उपरांत उपलब्ध कराये गए, 7-8 से लेकर 20 वर्ष तक के बाल बलिदानियों की गाथाओं और 101 दुर्लभ मूल चित्रों के आधार पर हस्तनिर्मित चित्रों से सज्जित गैलरी का लोकार्पण कर इन गुमनाम बाल बलिदानियों को उचित सम्मान और पहचान देने की स्वागत योग्य पहल की है.
           ऐसे 440 से अधिक बाल-बलिदानी जिनके चित्र उपलब्ध नहीं हो सके उनका राज्यवार परिचय दीर्घा के अंत में प्रदर्शित किया गया है. सभी हस्तनिर्मित चित्रों के चित्रकार श्री गुरुदर्शन सिंह ‘ बिंकल ‘ हैं. इस गैलरी में बाल बलिदानियों की तस्वीरें और शौर्य गाथाएं तो रोमांचित करती ही हैं साथ ही चित्रकार ‘बिंकल‘ साहब द्वारा स्वयं के रक्त से बनाये गए 28 बाल बलिदानियों के हस्त निर्मित चित्र कौतुहल और चित्रकार की देशप्रेम से ओतप्रोत भावना से परिचय भी करवाते हैं..
              चित्रकार 'बिंकल' साहब स्वयं की भावना व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि राष्ट्र की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले ये बाल बलिदानी मेरे लिए देव तुल्य हैं. अत; ऐसे देव तुल्य बाल-बलिदानियों के चित्रों का अपने रक्त से श्रृंगार कर मैं स्वयं को धन्य समझता हूँ....
             सोचता हूँ कि जिला स्तर भी पर इस तरह की गैलरियां बनायीं जानी चाहिए और इन गैलरियों में छात्रों को शैक्षिक भ्रमण के अंतर्गत लाया जाना चाहिए, साथ ही बाल बलिदानियों को स्कूली पाठ्यक्रम में भी स्थान दिया जाना चाहिए। जिससे जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह भारत में भी बाल्यकाल से ही बच्चों में बचपन से ही देश प्रेम के संस्कार विकसित हो सकें..
             गैलरी में छायांकन निषिद्ध है लेकिन देशप्रेम की शौर्य गाथाओं व तस्वीरों से ओतप्रोत इस गैलरी से अधिक से अधिक लोग परिचित हो सकें. इस मन: स्थिति में बिना फ्लैश के छायांकन करने से स्वयं को न रोक सका.. इस दृष्टता हेतु सम्बंधित अधिकारियों से क्षमा प्रार्थी हूँ..
           जब भी लाल किला आइयेगा तो लाल किले में प्रवेश उपरांत छत्ता बाजार पार करते ही नौबत खाने से पहले ही बाएं मुड़कर एक बैरक को छोड़ अगली बैरक में पर्यटकों के आकर्षण से वंचित, स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में बाल-बलिदानी गैलरी में इन बाल-बलिदानियों के जज्बे और देशप्रेम को अवश्य अनुभूत कीजियेगा..


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