Wednesday 30 March 2016

कभी चार धाम पैदल यात्रा का प्रथम पड़ाव रहा !! गरुड़ चट्टी, ऋषिकेश



कभी चार धाम पैदल यात्रा का प्रथम पड़ाव रहा !!


गरुड़ चट्टी, ऋषिकेश

         ये स्थान ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला से 4 किमी आगे गरुड़ चट्टी (चट्टी= यात्रियों के ठहरने का स्थान) है. पुराने समय में श्रृद्धालु चार धाम यात्रा, पैदल ही किया करते थे तब देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु मुनि की रेती (राम झूला) में एकत्र होते थे गंगा में स्नान कर शत्रुघ्न मंदिर में यात्रा की सफलता हेतु पूजा कर पैदल आगे बढ़ते थे. जब पैदल यात्रियों का समूह यहाँ गरुड़ चट्टी पर पहुँच जाता था तो यहाँ रुके यात्रियों को मुनि की रेती की तरफ जाने की अनुमति मिलती थी.
            चार धाम पैदल यात्रा के अंतर्गत बाबा काली कमली ने हर दो कोस ( 1 कोस= 2 मील या लगभग 3.25 किमी.) पर इन चट्टियों को श्रृद्धालुओं के सेवार्थ लिए नि:शुल्क विश्राम, भोजन व दवाओं हेतु स्थापित किया था. चार धाम पैदल यात्रा के अंतर्गत गरुड़ चट्टी कभी पहला पड़ाव हुआ करता था.
           स्वयं में चार धाम पैदल यात्रा के इतिहास के मूक गवाह, इस चट्टी की खस्ता हाल देखकर दुःख हुआ ! मैं इनको भी ऐतिहासिक धरोहरों के रूप में मानता हूँ. मेरे विचार से स्वस्थ सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक जीवंत रूप में स्थानांतरित करने के लिए इनका रख रखाव उसी तर्ज पर किया जाना चाहिए जैसा पौराणिक, प्राचीन या मुग़ल कालीन स्मारकों का किया जाता है.
          सोचता हूँ, युवाओं में साहसिक यात्राओं के बढ़ते रुझान व उत्साह को देखते हुए, चार धाम पैदल पैदल यात्रा को प्रोत्साहित कर, कुछ धार्मिक नगरों की ओर रोजगार के लिए एकत्र होती जा रही अनियंत्रित जनसँख्या व प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है. पैदल यात्रा के पड़ावों की देखभाल का जिम्मा निकटस्थ ग्राम सभाओं या नगर पंचायतों को देकर यात्रियों से प्राप्त होने वाली आय स्थानीय विकास में प्रयोग की जा सकती है इस तरह चार धाम यात्रा से प्राप्त होने वाली आय कुछ ही लोगों तक ही सीमित नहीं रह जायेगी. साथ ही उत्तराखंड से युवाओं के होते प्लायन को रोकने की दृष्टि से भी ये एक कवायद हो सकती है।    21.01.15
 
 
 
 
 

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