Saturday 26 September 2015

“ चुन्नामल की हवेली “ : दिल्ली



  “ चुन्नामल की हवेली “ : दिल्ली

            ग़ालिब की हवेली के बाद चाँदनी चौक मुख्य सड़क पर लाल किला की तरफ वापस आते हुए बाएं हाथ पर कटरा (Market) नील में बनी इस हवेली से रूबरू हुआ. 1848 में एक एकड़ भूमि पर निर्मित, 128 कमरे वाली इस हवेली में आज भी इसको बनाने वाले कपडा व्यवसायी राय लाला चुन्नामल के वंशज रहते हैं. यह हवेली “ चुन्नामल की हवेली “ के नाम से जानी जाती है.
        1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय चुन्नामल दिल्ली के सबसे अमीर व्यक्ति थे कहा जाता है कि लचर अर्थ व्यवस्था से जूझ रही मुग़ल सल्तनत के बादशाह भी उनसे धन उधार लिया करते थे. दिल्ली में गाड़ी और टेलीफोन रखने वाले वे पहले व्यक्ति थे. 1857 के बाद दिल्ली में अंग्रेजों के नियंत्रण के पश्चात, अंग्रेजों ने चुन्नामल को प्रसिद्ध फतेहपुरी मस्जिद 19000 रुपयों में बेच दी थी लेकिन 1877 में इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की वापसी के बाद, चार गावों के एवज में फतेहपुरी मस्जिद पुनः वापस ले ली और मुस्लिम संप्रदाय को दे दी गई।
       स्वयं में इतिहास संजोये ये हवेली “ दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम 1958 “ का सरेआम मजाक उड़ाते हुए भी जान पड़ती है 1971 में इस हवेली में स्थित 132 दुकानों को 75 रुपये प्रतिमाह की दर से किराये पर दिया गया था. आज जगह की कीमत और व्यापार भी कई गुना बढ़ चुका है लेकिन दिल्ली के              इस प्रमुख व्यावसायिक जगह पर, व्यवसायी, अधिनियम के संरक्षण में आज भी प्रतिमाह 75 रुपये किराये के रूप में अदा कर रहे हैं !! चांदनी चौक जैसी व्यावसायिक जगह पर राय लाला चुन्नालाल के वंशज अनिल प्रसाद 132 दुकानों का कुल मासिक किराया मात्र 9000 रुपये प्राप्त करते हैं !! और खुद अपना व्यवसाय चलाने के लिए दूसरी जगह पौने दो लाख मासिक किराया देते हैं !!
        यदि आप इस हवेली के अन्दर फोटोग्राफी करने की सोचें रहे हैं तो इसमें रहने वालों के असहयोग के कारण निराशा ही हाथ लगेगी..वैभवमय अतीत को बयां करती ये हवेली, मकान मालिक और किरायेदारों के विवादों के चलते, रख-रखाव से वंचित दिखी !!

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