Sunday 20 September 2015

लाल किले को परिवृत्त करती खाई या नहर



लाल किले को परिवृत्त करती खाई या नहर


           महाभारत काल मैं पांडवों द्वारा श्रीकृष्ण के कहने पर इंद्र द्वारा भेजे गए, उस काल के इंजीनियर विश्वकर्मा की मदद से खांडवप्रस्थ निर्जन वन क्षेत्र को विकसित कर इंद्रप्रस्थ "नाम" मिला ( इन्द्रप्रस्थ, यमुना की भीषण बाढ़ में बह गया था और पांडव आज के दिल्ली क्षेत्र से दूर चले गए थे उस स्थान का नाम मझे विस्मृत हो गया, किसी सम्मानित साथी को जानकारी हो तो अवश्य साझा कीजियेगा ) इन्द्रप्रस्थ, के "नाम" का सफ़र, यहीं एक छोटे स्थान के राजा "ढिल्लो" के नाम का अपभ्रंश चलते-चलते "दिल्ली" तक आ पहुंचा ..
            कहा जाता है कि दिल्ली 18 बार उजड़ी. मानव व प्रकृति के प्रहारों ने यहाँ के अधिकतर प्राचीन अवशेषों को समाप्त कर दिया ! विभिन्न "शक्ति केन्द्रों" के रूप में चलता हुआ ये सफ़र महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ में ठहराव के बाद, वर्तमान दिल्ली क्षेत्र के अन्दर ही कभी तेज कभी मंथर गति से, लाल कोट (योगनिपुरा,, मैहरोली, राय पिथोरा) से पुन: प्रारंभ होता हुआ, सीरी < तुगलकाबाद < जहाँपनाह < फिरोजशाह कोटला < दीनपनाह ( पांडवों का किला, इन्द्रप्रस्थ) < शाहजहानाबाद ( चांदनी चौक) के रूप में सात शहरों से होता हुआ आज राय सीना की पहाड़ियों पर नयी दिल्ली के नाम से आठवीं दिल्ली के रूप में ठहर गया..
           अब ये "सफ़र" ... हम सबके साथ और हमारे हाथ.. यहीं ठहरा रहे इसके लिए हम सभी को ईमानदारी से विविधता में एकता को सार्थक करने की आवश्यकता है ..
पुराने समय में किले, गढ़, व दुर्ग राज्य की शक्ति का केंद्र हुआ करते थे . समय के साथ बसाये गए शहर व किले खंडहरों में तब्दील होते गए. बेशक लाल किला प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मुग़ल, मराठा, सिक्ख शक्तियों के नियंत्रण में रहा लेकिन लगभग 363 वर्षों से आज भी लाल किला किसी न किसी रूप में शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है..स्वतंत्रता दिवस पर हमारे प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले पर शान से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं..
          कहा तो जाता है कि ये स्थान जमुना के किनारे सुनसान जगह थी लेकिन लाल किले से सटे सलीम गढ़ किले क्षेत्र में महाभारत काल के मिले मिटटी के बर्तन, महाभारत काल में इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हैं । ..
         अब तस्वीर पर कुछ चर्चा की जाय..  मेरे पीछे जो खाई या नहर है इसमें आक्रमणकारियों से किले की सुरक्षा के लिए आदमखोर मछलियाँ, मगरमच्छ और घड़ियाल रहते थे, ये नहर या खाई किले की सुरक्षा के लिए तीन ओर से घेरे हुए थी, किले की पिछली तरफ जमुना बहती थी, आज आप, ITO की तरफ रिंग रोड पर चलते हुए लाल किला के पीछे जिस मेहराब दार पुल के नीचे से फ्लाई ओवर पर चढ़कर, प्राचीन हनुमान मंदिर के पास से गुजरकर काश्मीरी गेट बस अड्डा पहुँचते हैं वहां जमुना बहती थी अर्थात रिंग रोड जमुना के बहाव क्षेत्र पर बनी है इसलिए बादशाह किले को पिछले गेट से निकलकर जमुना में नाव से किले के दिल्ली गेट से, जो अब बंद है, पुन: किले में प्रवेश कर दीवाने आम में आम जनता की फ़रियाद सुनने आना होता था ।


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