Friday 18 September 2015

कालू !! फिर मिलेंगे !!!




कालू !! फिर मिलेंगे !!! : एक यादगार अनुभव


           यह तस्वीर लगभग दो वर्ष पुरानी है तस्वीर में ,मंदिर दर्शन की समयावधि में, वर्षा के बावजूद भी ,निरंतर,मेरे साथ रहा " कालू " है
            इसे सामान्य, कालू समझने की भूल मत कीजियेगा . इसकी विशेषता यह है कि, बेशक मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ हैं ! ये जिस दर्शनार्थी के साथ सड़क से नीचे मंदिर तक जाता है उसी के साथ वापस पुन: चढ़ाई चढ़कर वापस सड़क तक आता है.और विदा करता है ! जिन साथियों ने मंदिर दर्शन किये हों उनको अंदाज़ होगा कि चढ़ाई कितनी खड़ी है !!
            इस दौरान चाहे कितनी भी भीड़ हो "कालू " यदि आपके साथ हो लिया तो हो लिया । हम काफी समय मंदिर में रहे और इस दौरान कालू को भूल ही गए थे ! लेकिन जब मन्दिर से बाहर आए तो कालू को इंतजार में शांत बैठे पाकर सुखद आश्चर्य हुआ !! 
           सामान्य कुत्ता भोजन की लालसा में इंसान के साथ हो लेता है और इस लालसा में हाव-भाव भी व्यक्त करता है लेकिन कालू ने "संत भाव" में हम से निरन्तर एक दूरी बनाए रखी !! जब आप इस स्थान पर जाए तो " कालू " से अवश्य मिलिएगा
           एक जानवर के मन में अजनबी श्रद्धालुओं के प्रति इतनी श्रृद्धा !!! आश्चर्य हुआ !!
 
 

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