Saturday 11 July 2015

मेरी यात्रा डायरी के कुछ जाने-अंजाने सम्मानित सूत्रधार



         मेरी यात्रा डायरी के कुछ जाने-अंजाने सम्मानित सूत्रधार


      साथियों, यात्रा डायरी सम्बंधित पोस्ट पढ़कर कुछ जिज्ञासु साथी अक्सर इन   जानकारियों का सूत्रधार व सम्बन्धित स्थान तक पहुंचने की प्रक्रिया को जानने की चाह रखते हैं. सोचा, आज इसी सम्बन्ध में पोस्ट करूँ !
    घुमक्कड़ी में जिज्ञासु, खोजी प्रवृत्ति, सहिष्णुता, व्यवहार कुशलता के साथ-साथ दृढ इच्छा शक्ति का होना भी आवश्यक है क्योंकि आवश्यक नहीं कि जहाँ की यात्रा पर आप जाना चाह रहे हैं वहां आपको पूर्व कल्पित सुविधाजनक वातावरण मिल सके !
यदि अल्प अवधि में जिज्ञासा पूर्ण यात्रा में कवर करना है तो यात्रा से पूर्व मस्तिष्क में कच्ची रूपरेखा बना लेना आवश्यक है.
    अब प्रश्न उठता है की कच्ची रूपरेखा कैसे तैयार की जाय ! पत्र-पत्रिकाओं के आलेख, फेसबुक पोस्ट्स व गूगल सर्च आपको कार्यक्रम की रूपरेख बनाने में सहायता कर सकते हैं.
    मेरी कई पोस्ट्स में प्रस्तुत तस्वीरें व जानकारी आपको गूगल सर्च करने पर भी नहीं मिल पाएंगी !! इस पर आप कहेंगे कि इस तरह के स्थानों की जानकारी कैसे मिल पाएगी ! तो साथियों, जहाँ आप जा रहे हैं वहां के स्थानीय लोगों से संवाद आवश्यक है. मिलने वाले लोग आपसे सहजता से व्यवहार करें इसके लिए हमें अपने पहनावे, व्यवहार में शालीनता व शिष्यत्व भाव लाना आवश्यक है. जरूरी नहीं कि पढ़े-लिखे लोगों से ही संवाद सार्थक हो सकता है .सम्बंधित क्षेत्र में मिलने वाले, निरक्षर, वृद्ध , चालक, ग्वाले, पंडित.छोटे दुकानदार, बच्चे, सन्यासी, सेवानिवृत्त कर्मी, अध्यापक, चौकीदार, मजदूर आदि भी आपको महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं..
    जहाँ भी जाएँ वहां वृद्धों से संवाद करने की आदत बना लेना हमारी उत्कंठा को शांत करता है. सुनी-सुनाई बातें लक्ष्य तक पहुँचने का साधन अवश्य बन सकती हैं लेकिन विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी को तथ्यपूर्ण विश्लेषण हेतु क्रॉस चैक करना आवश्यक है .. जिससे यात्रा उपरान्त जुटाई गयी जानकारी भविष्य में सार्थक मानक रूप में प्रयोग की जा सके ..
    यात्रा में हर क्षण का उपयोग आवश्यक है. ऐसी जगह पर चाय-पान, भोजन व ठहरने की व्यवस्था की जानी चाहिए जहाँ पर बैठने या रहने से हमें वहां उपस्थित अधिक से अधिक लोगों से संवाद हो सके. बेशक इसके लिए हमें अपनी रहन-सहन की आदतों से समझौता ही क्यों न करना पड़े.
    यात्रा में स्वास्थ्य का साथ देना आवश्यक है इसलिए मौसमानुकूल वस्त्रादि साथ हों, स्वादु साथियों को भोजन सम्बन्धी लोभ संवरण करने की परम आवश्यकता है, यात्रा में हल्का भोजन लिया जाना चाहिए. स्थानीय शिष्टाचार व परंपरा अनुरूप व्यवहार हर तरह के लोगों में स्वीकार्यता के लिए अनिवार्य है .. दूसरे की बात को सुनना और सुनना सबसे महत्वपूर्ण है..
    साथियों, जब मैंने इस पोस्ट के साथ ग्राफिक तैयार कर ली तो सम्मानित मित्र श्री Kamala Kant Mishra जी ने मेरे सूत्रधारों में पत्नी की फोटो के नदारद होने पर ऐतराज जताया !
    ऐतराज जायज था !! वास्तव में मेरी धर्म पत्नी का मेरी यात्राओं और लेखन में पारिवारिक सहयोग के साथ-साथ विषय से सम्बंधित महत्वपूर्ण तकनीकी योगदान भी होता है. खैर, पुन: तस्वीर बनाकर गलती दूर की .. अत: यात्रा में हर संभावित स्रोत का अधिकतम उपयोग किया जाना आवश्यक है. शेष पहलुओं पर फिर कभी .. 02.07.15



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