Saturday 11 July 2015

“ सावन-भादों “ मंडप ” : लाल किला


“ सावन-भादों “ मंडप ” : लाल किला

        मैं लाल किला बोल रहा हूँ, मैं लाल पत्थरों से बना एक ढांचा ही नहीं बल्कि दीर्घ कालखंड की घटनाओं का चश्मदीद गवाह भी हूँ  . मैंने  “लाल किला ट्रायल” के दौरान लाखों देशभक्तों को अपने चारों ओर “ लाल किले से आई आवाज़.. सहगल – ढिल्लों – शाहनवाज” के गगन भेदी नारों द्वारा भारत में अंग्रेजों के साम्राज्य पर आखिरी कील गाड़ते स्वरों को भी सुना... तो मुग़ल साम्राज्य के सूरज को उगते और डूबते हुए भी देखा.
     बादशाहों के वैभव को भी देखा तो आर्थिक रूप से विपन्न हो चुके बादशाह  बादशाह जफ़र को सैनिकों का वेतन तक न दे सकने की स्थिति में लाचार होकर अपनी पगड़ी के नग-नगीनों को नीलाम करने की बात कहते भी सुना.. मैंने बादशाहों को कत्लेआम के फरमान सुनाते हुए भी सुना तो वहीँ बादशाहों को अपनी जान के लिए रहम की याचना करते हुए भी सुना !!
     मैं लम्बे समय तक हादसों और दर्दनाक मंजरों को देख बार-बार सिहरता रहा..कुछ सोचता रहा . आज मेरे आँगन में, जिस मिट्टी का मैं बना हूँ उसी मिट्टी से बने लोग आकर जब मुझे निहारते हैं और मुझसे बातें करते हैं तो मैं बहुत खुश होता हूँ और अब   भारतीय लोकतंत्र को फलता-फूलता देख कर गौरवान्वित महसूस कर सदैव मुस्कराता रहता हूँ ..साथियों  कोई भी स्थान शुभ या अशुभ नहीं होता, मनुष्य ही उसे अपने कार्यों से शुभ या अशुभ बनाता है.. 

      अब मूल विषय पर आता हूँ.. जिस चबूतरे पर बैठा हूँ कभी इस चबूतरे पर सावन और भादों के स्वागत में फनकार, अपने साजों से स्वर झंकृत कर व मधुर कंठ से स्वरों की स्वरलहरियों का जादू बिखेरकर, सावन-भादों को मद-मस्त हो बरसने को मजबूर कर देते थे. मेरे पीछे दो बाग़ दिखाई दे रहे हैं इनका नाम हिन्दू कैलेण्डर के महीनों के नाम पर रखा गया था, “सावन” और “भादों”. इन्हीं नामों से दोनों बागों के प्रारंभ में मंडप भी बने हैं, जिनमे बैठकर बादशाह सावन-भादों का नजारा देखा करता था.      तस्वीर में सफ़ेद "सावन" मंडप दिखाई दे रहा है मंडप पर प्रकाश पात्र रखने के लिए आले बने हैं  जिनका प्रकाश रात में नीचे पानी में प्रतिबिंबित होकर दृश्य को शानदार बना देता था .दोनों मंडपों के मध्य में पानी के बीच में लाल पत्थर का बना जफ़र महल है.. जिसमे बैठकर बहादुरशाह जफ़र ने “जफरनामा “ लिखा था. इस बाग़ में मौसमी फलों के अलावा .. नीले, सफ़ेद और बैंगनी रंग के फूल बाग़ की सुन्दरता बढ़ाते थे..    15.06.15

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