Thursday 16 July 2015

प्रकृति से संवाद

 

 प्रकृति से संवाद 

        यात्रा के दौरान प्राय: प्रतिकूल मौसम, थकान और उदिग्नता घर करने लगती है !! उस स्थिति में प्रकृति के सुरम्य मनोहारी दृश्य मानसिक शीतलता प्रदान करते हैं. मार्ग में मिलने वाले पालतू जानवरों से कमोवेश अनकहे व अनसमझे संवाद कौतुहल, उत्साह व ताजगी उत्पन्न करते हैं ..
      मार्ग में छाँव में विश्राम कर रहे इन पालतू जानवरों से संवाद करने का लोभ संवरण नहीं कर पाता !! सोचता हूँ इनसे इस जन्म का बेशक न सही लेकिन पूर्व जन्म का मेरा कोई न कोई सम्बन्ध अवश्य है. इस जन्म में इनको बकरी के रूप में जन्म मिला !! और मुझे मनुष्य के रूप में !!
     लेकिन आत्मा तो अजर अमर है !! केवल शरीर को बदल देती है !! तभी तो इन अनजान राहों पर इनसे मेरी मुलाकात हो जाती है !! और हम एक - दूसरे से अपरचित स्थान पर अलग-अलग रूपों में मिल कर, कुछ देर ही सही लेकिन आनंदित हो मुस्करा देते हैं !! ताजगी का अहसास पाते हैं


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