“ रानी का तालाब “, नरेन्द्र नगर, टिहरी गढ़वाल .. भाग - 1
बाइक खड़ी कर मैं और मेरा भतीजा धर्म सिंह, टिहरी महाराजा की रानी के “ रानी का तालाब “ की खोज में घने जंगल में निकल पड़े. जमीन में वर्षा के कारण ऊंची घास व झाड़ियाँ उग आई थी .. घास के कारण जमीन बिलकुल भी नहीं दिख रही थी ऐसे में ऊंची-ऊंची घास पर चलना.. जोखिम को निमंत्रण देने से कम न था !! हम किसी भी रेंगने वाले जंतु का कोपभाजक बन सकते थे !
ढलती शाम और घने बादलों के बीच अँधेरा गहराने लगा था ! हम दोनों के मन में निर्जन घने जंगल में आक्रामक जंगली जानवरों द्वारा घात लगाकर हमला करने का अज्ञात भय था लेकिन इस भय को एक दूसरे से व्यक्त नहीं कर रहे थे !
काफी देर खोजने के बाद भी जब “ रानी का तालाब “ न मिला तो निराशा स्वाभाविक थी .. इतने में ये सेमल का पेड़ दिखा ऐसा महसूस हुआ मानों वह विचलित मन को शांत करने हेतु अपने सानिध्य में आने का निमंत्रण दे रहा हो !! उद्दिग्न मन को जैसे थाह मिली !!
मन हुआ कि पहले तस्वीर क्लिक कर निराश मन: स्थिति को बदल कर उत्साह संचरित किया जाय !! उसके बाद नए जोश के साथ " रानी का तालाब ' खोजा जाय !! अंत में " रानी का तालाब ' मिल ही गया .. ... 03.07.15
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