मेरी यात्रा डायरी
Friday, 7 August 2015
यूँ तो सफर पर
यूँ तो सफर पर
यूँ तो सफर पर
चलते हैं लाखों,
मगर मंजिल पर
पहुँचते हैं कुछ ही !
अहल-ए-ज़माने !!
कद्र कर उनकी भी,
मंजिल तक खुद
जो पहुँच नहीं पाते,
मगर___
हमसफ़र का
हौसला वो बढ़ाते हैं.
.. विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment