Friday, 7 August 2015

महादेव सैण महादेव, फूल चट्टी, ऋषिकेश

 

 महादेव सैण महादेव, फूल चट्टी, ऋषिकेश


          उत्तराखंड में आदि शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित शिवालयों के स्थापत्य के अनुरूप प्राचीन शिवालय प्राय: हर गाँव में आसानी से मिल जाता है. हिन्दू धर्म पुनर्स्थापना के कालखंड में उत्तराखंड, आदि शंकराचार्य जी की कर्म स्थली रही है. कहा जाता है श्रीनगर में कीर्तिनगर पुल के पास आदि शंकराचार्य जी हैजा से ग्रस्त थे तो उनको दूध बेचने वाली के स्वरुप में माँ गंगा के दर्शन हुए थे. इस प्रसंग को विस्मृत कर रहा हूँ, निवेदन है कि यदि किसी सम्मानित साथी को प्रसंग ज्ञात हो तो उल्लेख अवश्य कीजियेगा.
       सम्पूर्ण हिमालय क्षेत्र उत्तराखंड शिव निवास माना जाता है. उत्तराखंड के प्राचीन शिवालय प्राय: आधुनिक वैभव से दूर हैं इन शिवालयों के परिधि क्षेत्र में पहुँचते ही वहां के वातावरण व वास्तु के कारण अपार आत्मिक शांति का स्वमेव अहसास होता है और मुझ जैसा व्यक्ति जो वैभव प्रदर्शित करते मंदिरों की तरफ कम ही रुख करता है अनायास खींचा चला जाता है.
        हिन्यूल नदी के तट पर चारों ओर आम, पीपल आदि के वृक्षों की हरीतिमा की छाँव में शांत-एकांत में यह प्राचीन शिवालय, महादेव सैण में है. यहाँ अलौकिकता का अहसास होता है. ऐसा प्रतीत होता है मानों प्रकृति के सभी अवयव मिलकर शिवालय को सुन्दर अलौकिक स्वरुप देने की आपसी होड़ में है !!
         प्राचीन शिवालयों के सानिध्य में भावनात्मक सुखानुभूति होती है। फूल चट्टी धर्मशाला के अवशेषों के अध्ययन के बाद जिज्ञासा शांत होने पर समीप में ही स्थित प्राचीन शिवालय का रुख किया. दरवाजे बंद थे ! स्वयं ही द्वार खोलकर सर्वशक्तिमान भोले के दर्शन कर उनकी शक्ति के आगे नतमस्तक हो, आशीर्वाद प्राप्त कर, वापस ऋषिकेश के लिए प्रस्थान किया..
         सोचता हूँ आधुनिकता के साथ प्राचीन मन्दिरों के मूल स्वरूप को भी यथावत् संरक्षित रखा जाय तो मन्दिर परिसर में प्राचीनता बोध व धार्मिक भावना के साथ-साथ सांस्कृतिक रूप से भी भावनात्मक लगाव उत्पन्न होगा .. 06.08.15


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