Thursday, 13 August 2015

पंध्यारा...धारा ..प्राकृतिक स्रोत


 पंध्यारा...धारा ..प्राकृतिक स्रोत


        सुबह-सुबह ..पंध्यारा...धारा ..प्राकृतिक स्रोत ...पर पानी भरने जाना ..कितना कठिन काम लगता है न..?    पर यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है, स्वच्छ पर्यावरण में सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम भी हो जाता है  ..         साथ ही सामाजिक समरसता व सहिष्णुता की दृष्टि भी बहुत महत्वपूर्ण है ..   पानी भरने के साथ-साथ, आपस में मनो-विनोद, और कई तरह तरह की बातें हो जाती हैं ! ....तस्वीर में यह आनंद स्वत; ही झलक रहा है ...
अब तो कई जगह,घर पर ही नल आ गए हैं जिससे हम  स्वयं अपने तक ही सिमट कर रह गए !! 


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