आक्रोश का चश्मदीद गवाह
भारतीय स्टेट बैंक, चांदनी चौक
जब आप लालकिला की तरफ से चांदनी चौक मुख्य सड़क पर चलेंगे तो दायें हाथ की तरफ पीले रंग के चार मंजिला ऊंची भव्य इमारत पर आपकी दृष्टि अवश्य रुकेगी. आज भी शान से खड़ी ये इमारत स्वयं में अतीत की बहुत सी अच्छी व बुरी यादें संजोये हुए है !!
इस भवन में कभी अंग्रेजों की अदालत हुआ करती थी.1847 में दिल्ली बैंक ने इस भवन को खरीद लिया. !857 में जब यहाँ प्रथम स्वाधीनता संग्राम नेतृत्व के अभाव में कमोवेश लूटमार और बलवे के रूप में परिवर्तित हो बेकाबू हो गया था। तब उस स्थिति का फायदा उठाने के लिए आस पास के प्रदेशों के कुछ शरारती लोग यहां आकर लूटपाट करने लगे थे !! उसी काल खंड में कुछ आक्रोशित स्वाधीनता सेनानियों ने इस स्थान पर इस बैंक के मैनेजर को पत्नी व पांच पुत्रियों समेत क़त्ल कर दिया था.
बाद में भारतीय स्टेट बैक के पूर्वाधिकारी इम्पीरियल बैंक ने इस इमारत को अपने अधिकार में ले लिया . कुछ वर्षों तक भारतीय रिजर्व बैंक इसी इमारत में काम करता रहा, इसके दालान मे पुराने और खराब नोटों को जलाने वाली पुरानी भट्टी व चिमनी आज भी उसकी मूक गवाह हैं ।
इस इमारत के जीने, छतें, मेहराबदार दरवाजे, पुरानी अंग्रेजी लिफ्ट, चटकीले शीशे आज भी यूरोपीय वास्तुकला को प्रदर्शित करते है
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