भरत मंदिर, ऋषिकेश,पाताल महादेव, शिवलिंग
सम्राट अशोक के कालखंड में बौध धर्म के उत्कर्ष के समय हिमालय क्षेत्र भी इस धर्म से अछूता न रहा. ऋषिकेश और आस-पास के मंदिर बौद्ध मठों में तब्दील कर दिए गए. विष्णुपुराण, महाभारत, श्रीमद्भागवत, वामन पुराण व नरसिंह पुराण में वर्णित, भरत मंदिर भी बौद्ध मठ में तब्दील हो गया.
सन 789 में जगद
गुरु आदि शंकराचार्य जी द्वारा भरत मंदिर के जीर्णोद्धार के उपरान्त
ऋषिकेश शहर अस्तित्व में आया. इस तरह, भरत मंदिर, मंदिरों के शहर, ऋषिकेश
का सबसे पुराना मंदिर है. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ऋषिकेश कई बार आये
उन्होंने अपनी पुस्तक “ हिमालय परिचय” में भरत मन्दिर का वर्णन किया है
उनके अनुसार तब ऋषिकेश पांच-दस परिवारों से आबाद जगह थी.
मुझे लगता है तस्वीर में वर्तमान उत्खनन के उपरांत भरत मंदिर की सतह से करीब 14-15 फीट नीचे प्राप्त ये भूमिगत प्राचीन शिवलिंग संभवत: उसी काल का होगा तब इसके आस-पास ग्रंथों में वर्णित पौराणिक मंदिर रहा होगा जो प्राकृतिक व मानवीय आपदाओं को झेलता हुआ जमीन के काफी नीचे दब गया होगा या दबा दिया गया होगा.
पर्यटक व यात्री भरत मंदिर आते हैं भरत जी महाराज के दर्शन कर लौट जाते हैं लेकिन मुख्य मंदिर परिदृश्य से हटकर स्थित इस पौराणिक भूमिगत शिवलिंग पर उनका ध्यान नहीं जाता.
यदि आप भरत मंदिर जाइयेगा तो शिवलिंग के दर्शन कर
उस काल खंड में अवश्य खो जायेंगे जब द्रौपदी समेत पांडवों ने स्वर्गारोहणी
के दौरान इस शिवलिंग के दर्शन किये होंगे. 28.02.15
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