\\ अनहद // ----------
महानगर के कंक्रीट वन में घिर कर दम घुटता है जब झूमते मुस्कराते सुकुमार हरित वन अपने पास खींच लाते हैं तब सहज स्पंदित होता है जीवन निर्झर निरंतर स्नेह से ... चहचहाते पक्षियों का कलरव तब करता है .. जीवन संगीतमय....
.. विजय जयाड़ा 29.03.15
|
No comments:
Post a Comment