गरुड़ चट्टी जल प्रपात ; प्रवेश वर्जित !!
ॠषिकेश से स्वर्गाश्रम - लक्ष्मण झूला क्षेत्र को परिवहन सेवाओं से जोड़ने वाले बहु प्रतिक्षित, गरुड़ चट्टी पुल पर यातायात प्रारंभ होने के बाद अब यात्रा समय में स्थानीय निवासियों की यातायात समस्या का काफी हद तक समाधान हुआ है। यहाँ से लक्ष्मण झूला लगभग तीन किमी. है। यहीं पर पुराण वर्णित गरुड़ भगवान का प्राचीन मन्दिर भी है।
मन्दिर के साथ- साथ गरुड़ चट्टी जल प्रपात पहुंचने का पैदल मार्ग प्रारम्भ होता है।
दो साल पहले इसी मार्ग से प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर वाटर फॅाल देखने गया था लेकिन इस बार मार्ग के प्रारम्भ में राजा जी नेशनल पार्क वन क्षेत्र होने के कारण " प्रवेश निषेध " बोर्ड लगा देख बढ़ते कदम रुक गए !! वापस आकर गाड़ियों को चैक कर रहे पुलिस कर्मियों से संतुष्ट होना चाहा तो उन्होंने भी आगे बढ़ने को मना कर दिया ! भांजा साथ में था इसलिए जोखिम लेकर आगे बढ़ना उचित नहीं समझा !
नागरिकों की सुरक्षा सरकार का प्रथम दायित्व है लेकिन सोचता हूँ कि क्या केवल सुरक्षा की दुहाई देकर आम जनता को प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य अवलोकन से वंचित रखना उचित है ??
जहाँ एक ओर पर्यटन के विकास हेतु सरकार द्वारा विज्ञापनों पर अपार धन व्यय किया जा रहा है वहीं क्या सरकार ऐसे स्थलों पर " प्रवेश निषेध पट्ट " लगाने की अपेक्षा, आवश्यक सुरक्षा मुहैया करवा कर उत्तराखंड पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु दृढ़ संकल्पित नहीं हो सकती !!
इस उम्मीद के साथ कि अगली बार जब आऊँगा तो शायद इस अल्प ज्ञात जल प्रपात के मार्ग की शुरुआत पर " प्रवेश निषेध " पट्ट के स्थान पर " गरुड़ चट्टी जल प्रपात में आपका हार्दिक स्वागत है " लिखा स्वागत द्वार होगा... भाँजे निर्मल के साथ अगले गंतव्य की ओर बढ़ चला। .
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