मेरी यात्रा डायरी
Tuesday, 8 December 2015
जीवन निरंतर चलता रहे
जीवन निरंतर चलता रहे
जिजीविषा तेरी यही है सदा,
गोद में तेरी बहती है गंगा
शत्-शत् नमन तूझे, हे पृथा !
... विजय जयाड़ा
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