पर्वत पुत्र स्व. श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी के व्यक्तित्व सानिध्य में कुछ क्षण ..
इंदिरा गांधी जैसी सख्सियत को चुनौती देने वाले दबंग व कद्दावर नेता
बहुगुणा जी जैसे व्यक्तित्व के बाद उत्तराखंड के राजनीतिक पटल पर लम्बे समय
से शून्य बना हुआ है !! के. सी. पन्त जी विद्वान व्यक्ति थे और ऊंचे
ओहदों पर भी रहे लेकिन अपनी व्यक्तिगत राजनीति ही अधिक चमकाते रहे, खण्डूरी
जी जैसे ईमानदार व्यक्तित्व से आस बंधी थी
लेकिन उनका व्यक्तित्व भी " पार्टी अनुशासन " में गुम होकर कर रह गया !!
प्रश्न उठता है क्या ये शून्य कभी भर पायेगा ?? विषय दलगत राजनीति का न
होकर ऐसे राजनीतिक व्यक्तिव के उद्भव को लेकर है जो केंद्र सरकार का केवल
पिछलग्गू बनकर या किसी पार्टी विशेष की सेवा में ही समर्पित न रहकर, प्रदेश
के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन, दलगत राजनीती से हटकर कर सके और
प्रदेश की समर्पित भाव से सेवा कर सके !!..समय गवाह होगा.. हरीश रावत जी,
प्रदेश के प्रति अपने दायित्व निर्वहन में कहाँ तक सफल हो पाते हैं।
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