Saturday 2 April 2016

दिल्ली के ऐतिहासिक स्थल : जामा मस्जिद




दिल्ली के ऐतिहासिक स्थल : जामा मस्जिद

         कल रविवार था तो साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले कम क्रय शक्ति के पाठकों के लिए सस्ते दाम पर उच्च कोटि के साहित्य व पाठ्यक्रम सम्बंधित पुस्तकें उपलब्ध करा कर साहित्य की सेवा करने वाले दरियागंज पटरी पुस्तक बाज़ार का रुख किया.धूप में तेजी बहुत थी. किलो के भाव साहित्य बिकता देख कष्ट अवश्य हुआ !!       
         दिल्ली गेट से दुकानों को टटोलता पैदल ही जामा मस्जिद तक पहुँच गया. दिल्ली में रहते 20 साल हो गए लेकिन कई ऐसे ऐतिहासिक स्थान हैं जो आते जाते तो दिख जाते हैं लेकिन उनको करीब से देखने का अवसर नहीं मिला !
            मन में कौतुहल उत्पन्न हुआ ! पूर्व शहरी विकास मंत्री जगमोहन सिंह जी का शुक्र गुजार हूँ जिन्होंने कई ऐतिहासिक स्थलों के आस-पास सौन्दर्यीकरण की मुहीम चलायी थी,काश वो कुछ समय और मंत्री रह पाते !!
खैर गेट न.1 की 39 सीढियां चढ़ता जामा मस्जिद परिसर में दाखिल हो गया. तेज गर्मी से मेरा बुरा हाल था लेकिन पहाड़ी पर होने के कारण बहती ठंडी हवा ने काफी राहत पहुंचाई .
           शाहजहाँ द्वारा करवाए गए इस निर्माण में 6000 मजदूरों ने 6 वर्ष (1550-1556) तक कार्य किया. उस समय निर्माण लागत 10 लाख रुपए आई. भारत की इस सबसे बड़ी मस्जिद में एक बार में 25000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं . साथ ही यहाँ पर इस्लामिक मान्यता के अनुसार पत्थर पर हजरत मोहम्मद साहब के पैर के निशान, दाढ़ी का बाल और आरंभिक समय की हस्त लिखित कुरान शरीफ भी प्रदर्शित की जाती है.


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