Monday 10 August 2015

स्पंदन : प्रकृति और अंधविश्वास

 

स्पंदन : प्रकृति और अंधविश्वास 


          यात्रा क्रम में एक पनियल स्थान पर
ड्रैगन फ्लाई उड़ते दिखे तो कौतुक जगा चलिए आज इस पर ही चर्चा हो जाय ! पानी वाले स्थानों पर आसानी से दिखाई देने वाले, ड्रैगन फ्लाई के जीवाश्मों से अनुमान लगाया गया है कि लाखों साल पहले ड्रैगन फ्लाई पूर्वजों के पंख 75 सेमी. तक बड़े होते थे !!
        किसी कालखंड में घटित शुभ-अशुभ घटनाओं के आधार पर हम सम्बंधित जड़-चेतन को ही स्वयं के लिए शुभ-अशुभ मानने लगते हैं ! देश-काल-परिस्थितियों को आधार बनाकर, तथ्यपरक व वैज्ञानिक विश्लेषण के अभाव में, कालांतर में वे मिथक संस्कृति में रच-बसकर अंधविश्वास का रूप ले लेते हैं !
                        
 
अब ड्रैगन फ्लाई को ही देख लीजिये ! जापान में इसे “ साहस-शक्ति और प्रसन्नता “ का प्रतीक मान कर “ शुभ “ जाता है जबकि यूरोप में इसे अभिशाप के रूप में “अशुभ “ माना जाता है !! इंडोनेशिया में इसे भोज्य सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है वहीँ चीन और जापान में देशी पारंपरिक दवाइयों में इस्तेमाल भी किया जाता है ! और भारत में !! बच्चे इसके पैरों से धागा बाँधकर उड़ते हुए देखने का आनंद लेते हैं !!
साथियों, प्रकृति का हर सृजन संतुलन बनाये रखने के लिए आवश्यक है लेकिन कमोवेश अज्ञानतावश व स्वार्थवश, हम अपनी सुविधा के अनुसार ही जड़-चेतन की उपयोगिता को परिभाषित करने की कुचेष्टा करते हैं ! जब हम उनकी उपयोगिता से रूबरू होते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ..
...और फिर पर्यावरण मंत्रालय व मीडिया के वातानुकूलित कक्षों में आमंत्रित की जाती हैं विचारगोष्ठियाँ !! और कागजों पर चलाये जाते हैं....खर्चीले.. “ संरक्षण “ अभियान !!!



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