Wednesday, 6 July 2016

तेरे शहर से आती हवाएं




तेरे शहर से आती हवाएं
गुजरती हैं करीब से
मन मचल जाता है
     आती हुई तेरी महक से ....
उड़ जाती है चादर
अरमानों को ढ़के हुए
लौट आती है बहारें
    यादों के झरोखों से ...

... विजय जयाड़ा


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