नारी
कभी पहाड़
कभी !
मोम हो जाती है
दुहती है पहाड़
उनको
संवारती भी है
जूझती है स्वयं से
जिंदगी भर !
मगर हर पल
वात्सल्य बरसाती है
डरते हैं
कुछ लोग
पहाड़ों को देखकर
उसको परवाह नहीं !
मगर___
झुक जाते हैं
पहाड़ भी !
नारी के
ममतामयी दृढ़
स्वरूप को देखकर !!
..विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment