शाही हमाम (Royal Bath) ; पुराना किला : दिल्ली
दिल्ली का अस्तित्व यूँ तो महाभारत काल से इन्द्रप्रस्थ के रूप में माना जाता है लेकिन एक बहुत बड़ा काल खंड, इतिहास के पन्नों में दर्ज न हो सका. उपलब्ध दस्तावेजी प्रमाणों के अनुसार दिल्ली की बसत, अनंग पाल प्रथम द्वारा सन 737 में मानी गयी है तब से अंग्रेजों के काल तक दिल्ली सात बार उजड़ी और बसी... फलस्वरूप आठवीं दिल्ली के रूप में लुटियन की दिल्ली अर्थात नई दिल्ली अस्तित्व में आई. संभवत: सन 737 से पूर्व के, लोक कथाओं और महा काव्यों तक सीमित कालखंड को तर्कपूर्ण साक्ष्यों के माध्यम से परिदृश्य पर लाने के उद्देश्य से और इस क्षेत्र के महाभारत काल से जुड़े होने की लोक मान्यता की पृष्ठभूमि में सर्वे आफ इंडिया ने 1954-55 और 1969 से 1973 में पुराने किले की खुदाई की थी और वहां उन्हें 1000 ईसा पूर्व शहर के अस्तित्व के होने की जानकारी मिली थी. इस के अलावा, मौर्य काल से ले कर मुगलकाल के बीच के शुंग, कुशाण, गुप्त, राजपूत और सल्तनत काल के दौरान इस शहर के होने की जानकारी हासिल हुई.
अब विषय पर आता हूँ ... 1913-14 तक पुराना किले की मोटी-मोटी खंडहर में तब्दील होती जा रही दीवारों के अन्दर इन्द्रपत गाँव हुआ करता था, जिसे किले के जीर्णोद्धार के समय अंग्रेजों ने हटा दिया था. मुग़ल बादशाह द्वारा इस क्षेत्र को त्यागने के बाद किला उपेक्षित हालत में हो गया जिससे किले के अन्दर ग्रामीणों ने तत्कालीन निर्माणों के ऊपर नए निर्माण कर दिए.
तस्वीर में भूस्तर के नीचे दबा मुग़ल कालीन 3.2 वर्गमीटर आकार के कमरे वाल शाही हमाम, किले के जीर्णोद्धार के समय परिदृश्य में आया. इस हमाम में टेराकोटा निर्मित पाइपों से जलागमन प्रणाली है साथ ही कमरे में दीवारों के सहारे गर्म और ठन्डे पानी के प्रवेश के लिए ढलानदार प्रवणिकायें (नालियाँ) आज भी अस्तित्व में हैं. इस हमाम का उपयोग बादशाह व उनकी बेगमें किया करती थी.
मैं न इतिहासकार हूँ न पुरातत्वविद.. व्यक्तिगत रूप से मैं पुराना किला को एक किले के रूप में ऐतिहासिक धरोहर से कहीं बढ़कर देखता हूँ ! इस क्षेत्र की भूमि की हर सतह कुछ बयाँ करने को आतुर दिखती है. पुराना किला मूल रूप से यमुना नदी के किनारे है. यमुना से किले को जोड़ने के लिए नहर हुआ करती थी. सोचता हूँ अधिकाँश मानव सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ, बेशक ! कभी दीनपनाह नाम से राजधानी के रूप में शक्ति केंद्र रहे पुराने किले में अब शेरमंडल व किला-ए- कुहना मस्जिद, सिर्फ दो ऐतिहासिक इमारतें अस्तित्व में दिखाई देती हैं लेकिन इस क्षेत्र में हुई खुदाई के उपरांत निरन्तर मिलते पुरावशेषों के कारण महाभारत काल से जुड़े होने की अवधारणा को बल मिला है. सभ्यताओं के विकास को जोड़ने के क्रम में पुराना किला क्षेत्र में होने वाली पुरातात्विक खुदाइयां.. परत दर परत दबी इतिहास की दास्ताँ बयाँ करते हुए मानव सभ्यता विकास के सफर में भी मील का पत्थर साबित हो सकती हैं.
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