Wednesday, 30 March 2016

प्रेम का प्रतीक : अतुल्य ताज महल



प्रेम का प्रतीक : अतुल्य ताज महल

                 मिर्जा ग़ालिब साहब के बचपन के शहर आगरा में ग़ालिब तो बेगाने से हो गए लेकिन अद्भुत स्थापत्य कला के लिए दुनिया के आधुनिक विलक्षण कृतियों में ताजमहल पहले स्थान पर बना चर्चा का विषय है. शाहजहाँ द्वारा अपनी प्रिय बेगम की याद में राजकोष की लगभग सारी धनराशि ताजमहल बनवाने में लगा दी गयी थी 22 वर्षों की अवधि में ( मुख्यद्वार पर लगे 22 गुम्बद,निर्माण में लगे 22 वर्षों के प्रतीक हैं) , एशिया भर के अलग-अलग फनों में माहिर 37 फनकारों ( मुख्य वास्तुकार : उस्ताद अहमद लाहौरी व उस्ताद ईसा ) की देखरेख में 20 हज़ार मजदूरों की मेहनत आज दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है ...
               ताजमहल का आगरा में निर्माण संयोग भी कहा जा सकता है क्योंकि मुमताज महल की मृत्यु चौदहवीं संतान को जन्म देते हुए बुरहान पुर, मध्य प्रदेश में हुई थी और वहीँ मुमताज को दफनाया भी गया था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, दीमक की अधिकता और संगमरमर लाने में होने वाली असुविधा ने शाहजहाँ को ताजमहल निर्माण के लिए आगरा को चुनना पड़ा, जिसके बदले में राजा जय सिंह को आगरा के मध्य में महल दिया गया.
                 यमुना के किनारे खादर की इस जमीन को मलबे और कूड़े-करकट द्वारा भराव कर, नदी की सतह से 50 फीट ऊँचा किया गया साथ ही नमीं सोखने के लिए,50 कुंए भी खुदवाए गए कहा जाता है कि ताज महल की बुनियाद के लिए टीक और रोज वुड का उपयोग किया गया ..
               मुख्य गुम्बद में ऊपरी भाग में पर्यटकों के दर्शनार्थ, मुमताज व शाहजहाँ की अलंकृत कब्रें हैं उनके ठीक नीचे दोनों की असली कब्रें हैं जो धर्मानुसार सामान्य हैं. जिनको वर्ष में केवल तीन दिनों में ही देखा जा सकता है . दरअसल बुरहानपुर में मुमताज को दफ़नाने के छ: महीने बाद, मुमताज के शरीर को वहां से निकालकर यहाँ लाकर पुन: दफनाया गया था. इस अद्भुत सममितीय सरंचना में केवल शाहजहाँ की कब्र ही असममितीय सरंचना है क्योंकि ये मकबरा केवल मुमताज के लिए बनवाया गया था, शाहजहाँ को यहाँ बाद में दफनाया गया. शाहजहाँ स्वयं के लिए, ठीक सामने, यमुना के दूसरी ओर काले संगमरमर का एक और अद्भुत मकबरा बनवाना चाहता था लेकिन नियति देखिये उससे पहले ही औरंगजेब ने शाहजहाँ को कैद कर पास में ही स्थित ऐतिहासिक लाल किले में बंदी बना दिया ..
               इस अद्भुत निर्माण के पीछे कई किंवदन्तिया कही और सुनी जाती है लेकिन तथ्यपरक सत्यता के अभाव में, साझा करना उचित नही समझता..कभी ताजमहल जाने का विचार बनें तो बाहरी सुन्दरता के अवलोकन के साथ इसके निर्माण से जुडी जानकारी का भी अध्ययन कीजियेगा तो जिज्ञासा परिपूर्ण आनंदानुभूति निश्चित है ...


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