दिल्ली : खारी बावली बाजार
शायद ही कोई “ खारी बावली “ बाजार से अनभिज्ञ हो ! यदि आप सर्दियों के मौसम में चांदनी चौक की सैर पर निकले हैं तो फतेहपुरी मस्जिद से सीधे हाथ की ओर चलकर, आने वाली मुग़ल कालीन व मसालों और ड्राई फ्रूट की एशिया में सबसे बड़ी थोक मार्केट को चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे. 1551 में शेरशाह के पुत्र सलीम शाह ने यहाँ बावड़ी का निर्माण करवाया था जिसका पानी खारा था, इसी कारण इस स्थान का नाम “ खारी बावली “ पड़ा. मुग़ल काल में यहाँ मसालों का व्यवसाय हुआ करता था. व्यवसाय बढ़ने से बावड़ी सिमटते हुए अस्तित्व गंवा बैठी !! इस बाजार में रसोई में इस्तेमाल होने वाली अन्य खाद्य सामग्री भी उचित दाम पर खरीदी जा सकती हैं .
मुख्य सड़क 60 फुट चौड़ा है लेकिन चौथाई हिस्सा भी यातायात के लिए सुलभ नहीं !! गलियां इतनी संकरी की दो आदमी एक साथ न गुजर सकें !! इसी कारण यहाँ माल का ढुलान- चढ़ान रात के वक़्त, जब खरीददार नहीं होते, किया जाता है. प्रतिदिन लभग 20 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले इस बाजार में 15000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है.. हालांकि मसालों की दुनिया में जाने-माने नाम MDH ने कारोबार तो पाकिस्तान मे शुरु किया था लेकिन विभाजन के बाद यही से MDH का कारोबार परवान चढ़ा. यहाँ के कारोबारी 2-3% या अधिकतम 5% मुनाफे पर कारोबार चलाते हैं..
खारी बावली मार्केट में 17 वीं व 18 वीं सदी की दुकानों में अब नवीं व दसवीं पीढियां कारोबार चला रही हैं 07.01.15
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