Thursday, 10 March 2016

अथ श्री यमुना कथा ! या व्यथा !! पर्यावरण पर एक मंथन : भाग - दो



अथ श्री यमुना कथा ! या व्यथा !!

पर्यावरण पर एक मंथन : भाग - दो

         नदियाँ, संस्कृति व समृद्धि का पर्याय ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौन्दर्य की पूरक भी हैं. लन्दन के बीचों-बीच बहकर शहर की खूबसूरती बढ़ाती टेम्स नदी भी कभी यमुना की तरह मृत होकर बीमारियों की जड़ बन चुकी थी. टेम्स नदी इतनी प्रदूषित हो गयी थी कि 1858 में इससे उठती भयंकर दुर्गन्ध के कारण संसद की कार्यवाही तक रोकनी पड़ी.. इसके बाद वहां की सरकार चेती और ईमानदारी से लगातार 50 वर्षों के सघन प्रयासों के उपरांत टेम्स पुन: अपने खूबसूरत स्वच्छ निर्मल रूप में आ सकी.
       अब मूल विषय पर चर्चा की जाय .. हिमालय के कालिंद शिखर से उद्गम से लेकर इलाहाबाद में गंगा में मिलने तक के यमुना के लगभग 1376 किमी. के सफ़र को पांच क्षेत्रों में बांटा गया है. इस सफ़र के अंतर्गत यमुना बहाव का सबसे छोटा व तृतीय क्षेत्र जो कि मात्र 22 किमी. का है दिल्ली महानगर के अंतर्गत आता है. यही क्षेत्र प्रदूषण की दृष्टि से यमुना के सफर में सबसे भयानक पड़ाव है जहाँ मैले नालों का पानी और कूड़ा-कचरा, कुल प्रदूषण में 79 % का हिस्सेदार बनकर, यमुना को सबसे अधिक विषैला करके उसे मृत घोषित करने को मजबूर कर देता है !! अकेले इस क्षेत्र में 22 गंदे नालों के जरिये प्रतिदिन लगभग 300 करोड़ ली. अपशिष्ट जल यमुना में छोड़ा जाता है. इसी कारण यमुना सफाई के लिए चलाया गया द्वितीय यमुना एक्शन प्लान केवल दिल्ली में यमुना की सफाई पर केन्द्रित किया गया था.
     दिल्ली, यमुना में केवल गन्दगी ही नहीं डाल रही है बल्कि यमुना के तटीय क्षेत्रों में अतिक्रमण करके, यमुना बैंक व शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन अक्षरधाम मन्दिर, मिलेनियम बस डिपो, कॉमनवेल्थ खेल गाँव, इन्दिरा गाँधी इनडोर स्टेडियम सहित हजारों झुग्गी-झोपड़ियाँ भी बन गई है.
     DND पुल के पास यमुना खादर में “ आर्ट ऑफ़ लिविंग “ के सौजन्य से एक ताजा अस्थायी अतिक्रमण आजकल सुर्ख़ियों में है. 11 मार्च से 13 मार्च तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों व तेज प्रकाश की पृष्ठभूमि में विश्व प्रेम और शान्ति का सन्देश के देने नाम पर श्री श्री रविशंकर और उनके अनुयायियों द्वारा आयोजित किये जा रहे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव, का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री और समापन माननीय राष्ट्रपति करेंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले अनुमानित 35 लाख लोगों की व्यवस्था हेतु नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ((एनजीटी) के आदेशों का खुलम्म खुल्ला उल्लंघन करते हुए शांत यमुना खादर के एक बड़े भाग की प्राकृतिक भू स्थिति को अर्थ मूवर, जेनरेटर, जे सी वी, ट्रकों के उपयोग से रौंदकर और अशांत करके जैव विविधता को समाप्त कर स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को ध्वस्त कर दिया गया है ! 

         आयोजन के माध्यम से प्रेम और शान्ति के सन्देश के देने के क्रम में न जाने कितने पशु-पक्षी और जीवों के प्राकृतिक आवास समाप्त हो जायेंगे और तेज प्रकाश व ध्वनि विस्तारक यंत्रों द्वारा उच्च आवृत्ति वाली ध्वनियों के उपयोग से किस हद तक क्षेत्र के बचे-खुचे जीव व पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होगा इसका अनुमान आप स्वयं ही लगा सकते हैं. ध्यान देने योग्य यह भी है कि जिन क्षेत्रों में आर्ट ऑफ़ लिविंग संगठन कार्य कर रहा है उनमे एक क्षेत्र “ पर्यावरण स्थिरता “ भी है !!
      हालांकि गठित प्रिंसिपल कमेटी ने NGT को जमा की गयी रिपोर्ट में कहा है कि आर्ट ऑफ़ लिविंग संगठन से कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व 120 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति हर्जाना वसूला जाय और सम्बंधित क्षेत्र में पूर्ववत भौगोलिक पुनर्स्थापना भी सुनिश्चित की जाय ..
        अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ! प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियुक्त कलयुगी “ कृष्ण “.. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण ने यदि कार्यक्रम के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देते हुए इतनी जल्दबाजी न दिखाई होती तो ये स्थिति न आती ..
प्रश्न उठता है कि यदि हर्जाना वसूल भी लिया जाय तो क्या हम स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को पुन: उसी रूप में स्थापित कर पायेंगे !! हम इसी लचर इच्छा शक्ति के बल पर दिल्ली में बहती यमुना को टेम्स की तरह खूबसूरत और स्वच्छ बना पायेंगे !! क्या हम इसी लचर इच्छा शक्ति के बल पर यमुना सफाई पर हजारों करोड़ रुपये व्यय करने के बाद भी हम मृत यमुना को टेम्स की तरह पुनर्जीवित कर इस प्राकृतिक धरोहर का गौरवशाली अतीत लौटा पायेंगे !!
विभिन्न यमुना एक्शन प्लान्स, जिनमें 2015 तक यमुना को पूर्णतया प्रदूषण मुक्त करने की कार्य योजना तय की गई थी के बाद यमुना की वर्तमान स्थिति देखकर सोचता हूँ ! जब टेम्स नदी की तरह यमुना की सडांध संसद तक पहुंचकर संसदीय कार्यवाही रोककर स्वयं को स्वच्छ करने को गरियाएगी ! शायद ही हमारे सफेदपोश राजनेताओं की नींद खुलेगी !!
         अंत में सोचता हूँ शायद !! प्रागैतिहासिक काल से निरंतर प्रेम - शांति - समृद्धि का सन्देश देती माँ यमुना को कलयुग में हमने अनियंत्रित " विकास " के कारण उस लायक अब नहीं रखा !! और अब माँ यमुना के स्थान पर हम स्वयं ही विश्व शांति और प्रेम का सन्देश देने इसके तट पर भव्य अतिक्रमण कर डेरा डाल कर पहुँच गए हैं ..

 

आयोजन की तैयारियों में जुटे अर्थ मूवर, जे सी वी,जेनरेटर


आयोजन हेतु समतल कर दिया गया खादर क्षेत्र 

आवाजाही के लिए निर्माणाधीन पन्टून पुल

आयोजन स्थल के पास से बहती मृतप्राय यमुना 

यमुना खादर 

कूड़े-कचरे और गंदे नालों के अपशिष्ट  ढोती यमुना 

DND फ्लाई ओवर पर लगाया गया बोर्ड







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