स्मिथ का कपोला (Smith’s Folly) :
कुतुब मीनार : दिल्ली
शीर्ष से उतार दिए जाने का मलाल न कीजिये स्मिथ साहब, आपकी " फाली " .या " मूर्खता ", पुरातत्व विभाग की निगरानी में सुरक्षित है !!
किसी भी पुरातात्विक परिसर में प्रसिद्ध निर्माणों के इर्द-गिर्द पर्यटकों का जमावड़ा अक्सर देखा जा सकता है, लेकिन मेरी जिज्ञासा, परिसर के मुख्य आकर्षण के अलावा पर्यटकों की दृष्टि से उपेक्षित पड़े ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लिए निर्माणों में अधिक है, इसलिए परिसर के मुख्य आकर्षण से इतर, उपेक्षित कोनों में दृष्टि दौड़ाना नहीं भूलता.
इसी क्रम में कुतुबमीनार परिसर में, पर्यटकों के आकर्षण से महरूम, परिसर के लॉन में एक कोने में रखे स्मिथ के कपोले (Smith’s Folly ) पर गयी !! किसी अंग्रेज का नाम पढ़कर हैरानी हुई !! जिज्ञासा बढ़ी !! दरअसल 1803 में आये भूकंप ने जब कुतुबमीनार के सबसे ऊपर, फिरोजशाह तुगलक द्वारा रखे कपोला को पूर्णतया ध्वस्त कर दिया, तब कुतुबमीनार की इस अपूर्णता को दुरुस्त करने के लिए तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने मेजर रॉबर्ट स्मिथ को जिम्मेदारी दी, स्मिथ ने कश्मीरी गेट बस अड्डे के समीप सेंट जेम्स चर्च का भी निर्माण करवाया था.
1828 में उस समय के 17000 रुपये में इस कपोले का निर्माण हुआ. लेकिन स्मिथ ने इंडो इस्लामिक स्थापत्य के स्थान पर बंगाली स्थापत्य को अपनाया !! स्मिथ की इस भूल के कारण ये कपोला कुतुबमीनार के स्थापत्य से सामंजस्य न बिठा सका !! हालाँकि इस सरंचना में मुझे बंगाल शैली से अधिक पाश्चात्य शैली लगी !! फलस्वरूप लार्ड हार्डिंग ने 1848 में इसे कुतुबमीनार से उतरवा कर परिसर में एक कोने में रखवा दिया और मीनार के ऊपर चबूतरे को वैसा ही छोड़ दिया.
तब से इस लाल रंग की बेमेल सरंचना को “ Smith’s Folly “ अर्थात स्मिथ की मूर्खता या अज्ञानता, के नाम से जाता है !!
समय के पंख कितनी तीव्र गति से हिलते हैं !! मीनार से उतार कर यहाँ रखे इस कपोले को 166 वर्ष हो चुके हैं !!! 06.01.15