Monday 27 August 2018

विजयी विजयंत ......



विजयी विजयंत ......

      स्कूली दिनों में वीर अब्दुल हमीद की वीरता की कहानी पढ़ते थे तो उनकी वीरता पर गर्व होता था और मन में देशभक्ति की भावनाएं हिलोरे लेने लगती थी उत्पन्न होता था. पकिस्तान के साथ हुए 1965 के युद्ध में खेमकरन सेक्टर में पाकिस्तान के पैटर्न टैंकों के आग उगलते गोलों के सामने जब भारतीय सैनिकों के हौसले पस्त होने लगे तब वीर हमीद ने बुद्धि व अदम्य साहस के बल बूते अमेरिकी निर्मित युद्ध दानव पैटर्न टैंकों के कमजोर हिस्सों को पैटर्न टैंको के मुकाबले मामूली सी लगने वाली अपनी गन माउंटेड जीप से निशाना बनाना शुरू किया और देखते ही देखते नौ पैटर्न टेंको को जमींदोज करके दुश्मन के खेमे में खलबली मचा दी. दुश्मन उल्टे पाँव भागने को मजबूर हुआ. इस तरह भारतीय सेना के हौसले फिर से बुलंद हो गए. इतने से ही हमीद को संतोष न हुआ ! वे भागते दुश्मन का पीछा करने लगे इसी दौरान दुश्मन द्वारा फेंका गया बम उनकी जीप के पास फटने से वे युद्ध भूमि में जख्मी हो गए और बाद में शहादत को प्राप्त हुए. राष्ट्र द्वारा वीर अब्दुल हमीद की शहादत व वीरता का सम्मान, महावीर चक्र तदुपरांत बाद परम वीर चक्र प्रदान कर किया गया.
रूडकी आया तो सड़क किनारे 1971 के युद्ध में दुश्मन के खेमे में हडकंप मचा देने वाले, स्वदेशी तकनीक से 1965 में निर्मित विजयंत टैंक को देखकर कौतुहल जगा. हालाँकि अब विजयंत टैंक सेना में सेवा से 2008 में हटा दिया गया है लेकिन आज भी विजयंत गर्व से विजयी गाथा को बयाँ करता प्रतीत हो रहा है.
1971 में पकिस्तान से हुए युद्ध में प्राप्त विजय में विजयंत टैंक महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं.



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