Monday, 27 August 2018

खेजडली


खेजडली 

      प्रयास रहता है कि इंटरनेट के जरिये मोबाइल.. लेपटॉप मशगूल नयी पीढ़ी, अतीत से रूबरू हो ... उनमें मौके पर जाकर धरातलीय सच्चाई जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हो ... साथ ही उनमें अपनी मातृभूमि के प्रति गौरव का भाव जगे ..
कक्षा - 4 के विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में एक पाठ है "अमृता की कहानी " !
कक्षा में बच्चों को यह पाठ पढ़ाते समय इस वृक्ष मित्र बलिदान भूमि को करीब से देखने की जिज्ञासा जागृत हुई !! और बेटे और बेटी के साथ पहुँच गया ..मारवाड़ .. जोधपुर के पास... खेजडली !!
इतिहास में वृक्षों के संरक्षण हेतु किये गए इस आन्दोलन को खेजडली आन्दोलन के नाम से जाना जाता है. इस आन्दोलन को ही प्रथम चिपको आन्दोलन भी माना जाता है .
आन्दोलन के दौरान सन 1730 में अमृता और उसकी तीन बेटियों सहित खेजडली के 363 से अधिक स्थानीय ग्रामीण खेजड़ी वृक्षों से चिपक गए.
वृक्ष रक्षार्थ क्षेत्र के 363 ग्रामीणों ने स्वयं कट कर अपनी जान न्योछावर कर दी और इतिहास में अमर हो गए ..
यहां काफी बड़ा शहीद स्मारक बन रहा है ... विस्तार से फिर कभी ....



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