Thursday, 21 April 2016

सेवा और सेवा के अलग-अलग स्वरुप !!

 

सेवा और सेवा के अलग-अलग स्वरुप !!

         आधुनिक जीवन शैली में एक ओर महंगे विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालना, सेवा की तुलना में स्व वैभव प्रदर्शित करने का जरिया अधिक बनता जा रहा है वहीँ मानव तिरस्कार झेलते भोजन की तलाश में सड़कों पर आवारा घूमते देशी नस्ल के कुत्ते बहुतायत में देखे जा सकते हैं जो कई बार परेशानी का सबब भी बन जाते हैं.
        हमारे आध्यात्मिक दर्शन व संस्कृति में कण-कण में और हर जीव में ईश्वर का अंश व वास माना गया है. इजराइल से आई ये तीन उम्रदराज पर्यटक महिलाएं उसी दर्शन को मूर्त रूप में चरितार्थ करती जान पड़ती हैं.
        राम झूला से लक्ष्मण झूला की तरफ बढ़ते हुए गंगा किनारे भीषण गर्मी में एक बीमार आवारा कुत्ते की ग्लूकोज लगाकर सेवा में मग्न, पशु चिकित्सा से जुडी इन तीन इजराइली महिलाओं ने बरबस ही ध्यान आकर्षित कर दिया !! जानकारी लेने पर पता लगा कि ये इस कुत्ते की कई दिनों से लगातार चिकित्सा कर रही हैं. केवल इस कुत्ते की ही नहीं ! बल्कि अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर, अपने वतन से बहुत दूर, प्रचार, सरकारी अनुदान या दान आदि की बिना चाहत के, इस धार्मिक व पर्यटन क्षेत्र के हर आवारा बीमार कुत्ते की पिछले तीन माह से व्यक्तिगत रूप से नि:स्वार्थ चिकित्सा कर रही हैं. सोचता हूँ पशु सेवा के माध्यम से ये अप्रत्यक्ष रूप से मानव सेवा ही है .
       विडंबना जानिए ! विदेशियों के इस पशु सेवा भाव में व्यावसायिक मानसिकता रखने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने अपनी आमदनी का जरिया भी खोज लिया है ! इस क्रम में कुछ बाबा टाइप व कुछ स्थानीय लोगों ने आवारा कुत्ते पाल लिए हैं. विदेशियों को आकर्षित करने के लिए ये लोग विदेशियों के सामने पाल्य कुत्ते की सेवा करने का खूब ढोंग करते हैं !! विदेशी इस सेवा भाव के छलावे में आकर मालिक को कुत्ते की सेवा के लिए खूब धन देते हैं ! लेकिन विडंबना !! विदेशियों के स्वदेश लौटते ही ये स्वार्थी लोग उन कुत्तों को फिर कहीं दूर आवारा छोड़ देते हैं !! शायद ये लोग भूल जाते हैं कि इस तरह के आचरण से विदेशों में हमारी संस्कृति व सभ्यता को लेकर गलत संदेश भी जाता है !


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