मेरी यात्रा डायरी
Monday, 20 July 2015
जिजीविषा
_\ जिजीविषा /__
पाषाण भेदकर
ज्यों वो__
धरती से उठा
जीत का उल्लास
उसके चेहरे पर दिखा,
ऋतुएँ अब आएँगी
अनुकूल और
प्रतिकूल भी
संघर्षों से जूझकर
स्नेह बरसाना__
फितरत में है
उसके जन्म से ही गुंथा..
.. विजय जयाड़ा 20.07.15
1 comment:
yash panwar
21 July 2015 at 23:55
विजय सर जी नमस्कार....आपका ब्लॉग देख अति ख़ुशी हवी...ब्लॉग हेतु आपको ढेरों शुभकामनाएं
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