जंगलात चौकी, चकराता, देहरादून .. Forest Post, Chakrata, Dehradun
"पहाड़ : संस्कृति, साहित्य और लोग" पर केन्द्रित, "पलायन एक चिंतन' दल द्वारा दिनांक 14 व 15 अगस्त 2016, दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्र, ग्राम-कनासर, चकराता, जौनसार-बावर में आयोजित विचार गोष्ठी में विद्वानों के सानिध्य में विचार मंथन का सौभाग्य प्राप्त हुआ.कनासर की तरफ बढ़ते हुए देहरादून से लगभग 96 किमी. दूर दुर्गम मगर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर स्थान, “ जंगलात चुंगी, “ पर रुके. ये स्थान किसी समय जौनसार की प्रसिद्ध आलू मंडी हुआ करती थी. यतायात व साधन सुविधा बढ़ने से स्थानीय निवासी अब स्वयं मनचाही जगह अपना आलू विक्रय करने लगे हैं. आज भी तत्कालीन आलू थोक व्यापारी अरुण कुमार जैन, सुधीर कुमार जैन, महावीर प्रसाद व टेकचंद के ताला बंद गोदाम, एक समय इस स्थान पर ढुलान-लदान और मोल-भाव में व्यस्त लोगों की चहल-पहल से गुलज़ार, बाज़ार की कहानी बयाँ करते हैं. आज ये स्थान सुनसान सा महसूस होता है.
बारिश के साथ ठण्ड भी थी अत: यहीं बैठकर, मेरे सबसे दायें “ पलायन एक चिंतन “ दल के पुरोधा श्री रतन सिंह असवाल जी, साहित्यिक चिन्तक श्री जागेश्वर जोशी जी व मेरे बाएं गोष्ठी की गतिविधियों को करीब से सदा के लिए अपने कैमरे के माध्यम से दक्षता से सहेजने का दायित्व सँभालने की जिम्मेदारी लिए ऊर्जावान कार्यकर्ता श्री विनय जी के साथ कुछ देर रूककर चाय का आनंद लिया।
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