अतीत में दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक अध्ययन केंद्र
हौजखास मदरसा
बुटीक, आर्ट गैलरी, प्राचीन वस्तुओं के शो रूम की चकाचौंध लिए और विलासिता पसंद पर्यटकों, स्कूल व कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों (खासकर प्रेमी युगल) को अपनी तरफ आकर्षित करता शहरी कृत " हौज़ ख़ास विलेज ", प्राकृतिक हरियल चादर में आधुनिकता व अतीत को स्वयं में एक साथ समेटे हुए है.
यदि आप हौजखास विलेज में स्थित अतीत की यादों को संजोये इस मदरसे से रूबरू होने के इच्छुक हैं तो पार्किंग पर वाहन खड़ा करके कुछ पैदल चलकर मदरसे के मुख्य द्वार तक पहुँच सकते हैं, यदि आप पार्किंग से लगे हौजखास परिसर के गेट से प्रवेश करते हैं तो आप मदरसे के ठीक नीचे हौजखास झील पर पहुँच जायेंगे. जहाँ से ऊपर चढ़कर मदरसे में प्रवेश कर पाना कठिन है।
1352 में फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित ये खंडहर हो चुका मदरसा उस काल में दुनिया का सबसे बड़ा व शैक्षिक संसाधन संपन्न, आवासीय अध्ययन केंद्र हुआ करता था, फिरोजशाह तुगलक ने अलग-अलग विषयों में ख्याति प्राप्त शिक्षकों को यहाँ नियुक्त किया था. साहित्य, कलात्मक लेखन, गणित, खगोल, औषधि, व्याकरण, कानून व इस्लामिक नियम धर्म आदि से सम्बन्धित विषयों के उच्च अध्ययन के लिए यहाँ अन्य देशों से भी शिक्षार्थी यहाँ आया करते थे. इस मदरसे के प्रथम डाइरेक्टर ज़लाल अल दीन रूमी 14 विषयों के ज्ञाता थे.
उस काल में प्रारंभिक शिक्षा मस्जिदों आदि में प्राप्त करने के उपरान्त, सिविल सेवाओं और न्यायिक सेवाओं में जाने के इच्छुक मेधावी छात्रों के लिए उच्च अध्ययन के लिए मदरसे हुआ करते थे, इसलिए मदरसों की संख्या कम थी.
विशाल हौजखास झील के किनारे, फिरोजशाह तुगलक के मकबरे के दोनों ओर पश्चिमी व उत्तरी भागों में एल आकृति में बने इस मदरसा-ए-फिरोजशाही में मस्जिद, तत्कालीन उस्तादों के मकबरे, प्रार्थना सभागार, बातचीत के लिए छोटे-छोटे मंडप व मुख्य ईमारत में कक्षा कक्ष निचली मंजिल में छात्रों के लिए कक्षों से झील की तरफ सीढियों वाले आवासीय कक्ष आज भी स्पष्ट दिखाई देते हैं.
1398 में जब तैमूर लंग ने मोहम्मद शाह तुगलक को हराकर दिल्ली को लूटा तो इस स्थान पर कुछ समय डेरा डाला था.इस स्थान का वर्णन उसने अपनी आत्म कथा में किया है. इस हार के बाद मदरसे का स्वर्णिम काल समाप्त हो गया और स्थानीय गाँववासी मदरसे का उपयोग निजी कार्यों हेतु करने लगे।
हौजखास क्षेत्र में पुरातत्व विभाग के सरंक्षण में सुनियोजित तरीके से जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है लेकिन मदरसा परिसर में खुलेआम चल रही कोल्ड और हॉट ड्रिंक पार्टियाँ से उठती दुर्गन्ध इस ऐतिहासिक परिसर में सामाजिक व वातावरणीय प्रदूषण फैला रही हैं. असामाजिक गतिविधि निषेध व्यवस्था अभाव में स्कूल और कॉलेज जाने वाले कम उम्र लड़के-लड़कियों के लिए यह स्थान सहज - सुविधाजनक - सुरक्षित एकांत मुहैय्या करवाता जान पड़ता है. जिससे यहां कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है !!
अभिभावकों की नजरों से दूर, एकान्त में एक ओर जहां प्रेमी युगल प्रेमालाप में लीन थे वहीं एकान्त का सदुपयोग करते दो नौजवान आकर्षक युवक भी दिखे !! लेकिन वे परिदृश्य के छिछोरापन लिए फूहड़ प्रेमालाप से बेखबर अपने-अपने गिटार के साथ शालीनता से मधुर स्वरालाप में लीन थे !! बहुत अच्छा लगा।
किसी स्थान का उपयोग या दुरुपयोग हम स्वयं ही सुनिश्चित करते हैं । सोचता हूँ बचपन से ही बच्चों में पढ़ाई के अतिरिक्त किसी अन्य कला के प्रति भी अनुराग उत्पन्न करने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे उनकी ऊर्जा उचित दिशा में प्रयुक्त हो सके।
सोचता हूँ ऐतिहासिक धरोहरों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ पुरातत्व विभाग को इन स्थानों पर सामाजिक व प्राकृतिक वातावरण को प्रदूषित करते तत्वों से सख्ती से पेश आना चाहिए जिससे हर तरह का पर्यटक ऐतिहासिक धरोहरों व वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का स्वच्छ - सुरक्षित - संस्कारप्रद माहौल में नि: संकोच आनंद ले सके।
" एल " आकार में निर्मित मदरसा...
मदरसा परिसर में मृतक उस्तादों की कब्रें
छात्रों हेतु सभागार ..
छात्रों के लिए आवासीय कक्ष
मदरसा परिसर में स्थित मस्जिद ..
मदरसे से हौज़-ए-इलाही अर्थात हौज़ ख़ास का नजारा ..
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