अतीत में जल से भरपूर दिल्ली की याद दिलाती झील :
हौज़ ख़ास ( Royal Lake)
हरियाणा में आन्दोलन के चलते बाधित जल आपूर्ति के कारण दिल्ली सरकार को स्कूलों में २२ फरवरी का अवकाश घोषित करना पड़ा !! एक समय था जब दिल्ली में पानी की कोई कमी नहीं थी. दिल्ली के शासकों ने शहर में बड़े-बड़े तालाब और झील बनवाए थे. नीला हौज, हौज खास, भलस्वा और दक्षिणी दिल्ली रिज में कई बड़ी झील थीं. तब दिल्ली के तालाबों और झीलों में लबालब पानी भरा होता था जो पीने और सिंचाई के काम आता था. लेकिन आज अधिकांश झील सूखे और गन्दगी के शिकार हैं. राजस्व विभाग के दस्तावेज़ों के अनुसार राजधानी में कुल 1012 तालाब हैं। लेकिन उच्च न्यायालय में दिये हलफनामें में राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि राजधानी में अब केवल 629 तालाब ही सही सलामत हैं.आइए मूल विषय पर बात की जाए.. हौज़ ख़ास गाँव में स्थिति हौज़-ए-इलाही या हौज़ ख़ास झील की.. अल्लाउद्दीन खिलजी (1296–1316)के काल में खोदी गयी इस झील से, कुछ ही दूर अल्लाउद्दीन द्वारा बसाए शहर, सीरी (द्वितीय दिल्ली) के निवासियों की प्यास बुझती थी, बाद में फिरोजशाह तुगलक (1351–88) ने 123 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली 600 मी. चौड़ी, 700 मी. लम्बी और 14 फीट गहरी, इस झील में जमीं गाद को हटवाया और जमीन के अन्दर झील के प्राकृतिक जल संवहन तंत्र को पुनर्जीवित किया.
1980 के बाद हौजखास गाँव के शहरीकरण व दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा क्षेत्र के व्यावसायिक क्षेत्र के रूप में विकास के समय झील में प्राकृतिक जल आपूर्ति व्यवस्था की अनदेखी की गयी जिसके कारण यह झील कई साल तक सूखी रही. हौजखास विलेज में दुकानों की संख्या बढ़ाने की होड़ में मकान ऊंचे होते जा रहे हैं जमीन सीमेंट से पटती ज रही है जिससे लाखों लीटर वर्षा का जल बिना संचयन के ही बह जाता है.
विभिन्न जल संचयन कार्यकर्ताओं ने जब दिल्ली विकास प्राधिकरण को चेताया तब प्राधिकरण की नींद खुली और भूल सुधार प्रयासों के उपरान्त आज झील में भरपूर जल है. झील के आस-पास काफी बड़े क्षेत्र में प्राकृतिक सौन्दर्य बिखरा पड़ा है झील के साथ ही डियर पार्क और डिस्ट्रिक्ट पार्क भी हैं अब काफी संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक यहाँ के सौंदर्य के तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
सोचता हूँ बेशक आज दिल्ली की आबादी बढ़ गयी है लेकिन यदि उचित जल प्रबंधन की तरफ संजीदगी से ध्यान दिया जाय और सूख चुके ताल-तलैयों, कुंओं, बावडियों, झीलों की गाद हटाकर, उनके बंद हो चुके प्राकृतिक भूमिगत जल संवहन तंत्र को पुनर्जीवित किया जाय तो भूजल स्तर भी बढेगा और जल के सम्बन्ध में दिल्ली की दूसरे प्रदेशों पर निर्भरता कुछ कम अवश्य हो सकती है .. साथ ही दिल्ली के प्राकृतिक सौन्दर्य पर भी चार चाँद लग सकते हैं..
हौजखास मदरसे से झील का दृश्य
झील में स्वच्छंद विचरण करते बत्तख
मुंडा गुम्बद के खंडहर : कभी ये झील के मध्य में हुआ करता था