व्हाट्स एप्प पर हास्य पुट लिए वार्तालाप का आप भी काव्य रूप में आनंद लीजिए
एक मोहतरमा ने घुमक्कड़ी पर मुझसे संजीदगी से पूछा ..
आग बरस रही सूरज से
कैसे गर्मी को झेल पाते हो !
गर्मी में भी भ्रमण पर रहते
बरदाश्त कैसे कर पाते हो !!
कैसे गर्मी को झेल पाते हो !
गर्मी में भी भ्रमण पर रहते
बरदाश्त कैसे कर पाते हो !!
मैंने जवाब दिया ..
गर्मी सर्दी से क्या डरना
दोनो ही मुझसे घबराते हैं !
श्याम वर्ण चेहरे को मेरे
जब "तवा" वर्ण हुआ पाते हैं !!
.. विजय जयाड़ा
दोनो ही मुझसे घबराते हैं !
श्याम वर्ण चेहरे को मेरे
जब "तवा" वर्ण हुआ पाते हैं !!
.. विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment