नयी टिहरी ..
कहा जाता है कि टिहरी महाराजा के दरबार ज्योतिषियों ने 1913 में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि सौ साल के अन्दर टिहरी शहर जल निमग्न हो जाएगा ! शायद 1915 में राजधानी को नरेन्द्र नगर स्थानांतरित किये जाने के पीछे अन्य कारणों के अलावा ये भी एक कारण था लेकिन तब किसी भीषण प्राकृतिक आपदा के अतिरिक्त टिहरी शहर के डूबने की सम्भावना न थी.
समय ने करवट ली .. भविष्यवाणी लगभग नब्बे वर्ष बाद सच साबित हुई !! लेकिन पुरानी टिहरी डूबने का अनुमानित कारण प्राकृतिक आपदा नहीं बनीं !! बल्कि टिहरी बाँध परियोजना, पुराने टिहरी शहर के जल निमग्न होने का कारण साबित हुई !!
पुरानी टिहरी के जल निमग्न होने के उपरांत, ॠषिकेश- पुरानी टिहरी मार्ग पर चम्बा से 12 किमी दूर उत्तराखंड का प्रथम नियोजित शहर, जिसके योजनाकार को उत्कृष्ट आर्किटेक्ट पुरस्कार से भी नवाजा गया है.. नयी टिहरी अस्तित्व में आया ..
हालाँकि भावनात्मक रूप से टिहरी के पुराने निवासियों के दिल में अभी वह स्थान नहीं बना पाया है जो पुरानी टिहरी के लिए था लेकिन पहाड़ियों से घिरा और सघन वन आच्छादित हरियाली की गोद में 1750 मी. ऊँचाई पर बसा प्राकृतिक सौंदर्य परिपूर्ण नयी टिहरी शहर, ठन्डे मौसम व स्वच्छ आबो हवा के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.. पर्यटन के दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं दिखाई देती है।
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