स्वातंत्र्य वीर तीर्थ : बंदीगृह, थाना संसद मार्ग, नयी दिल्ली
दिल्ली में तीन माह से वेतन न मिलने के कारण आन्दोलन कर रहे हम सभी शिक्षकों को जब संसद मार्ग थाना परिसर में सामूहिक गिरफ्तारी के तहत रखा गया तो मेरी निगाहें इस ऐतिहासिक थाना परिसर में कुछ तलाश रहीं थीं ! जहाँ चाह ! वहां राह !! तैनात पुलिसकर्मियों से जानकारी लेने पर तलाश पूरी हुई और मुझे एक और स्वातंत्र्य वीर तीर्थ के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो गया !!ये वह बंदीगृह है जहाँ स्वातंत्र्यवीर भगत सिंह को संसद में बम विस्फोट करने के तुरंत बाद कुछ समय बंदी रखा गया था.
दरअसल चंद्रशेखर आजाद ने निर्णय लिया था कि सेंट्रल असेम्बली (संसद भवन) में बम फेंककर ब्रिटिश सरकार को चेतावनी दी जाये कि भारत को तुरंत आजाद किया जाये वरना भयंकर सशस्त्र संघर्ष प्रारंभ किया जायेगा. इस कार्य की जिम्मेदारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को दी गई. 8 अप्रैल 1929 को इस कार्य के लिये तय किया गया। दोनो क्रांतिकारी पत्रकार के. सी. राय के माध्यम से सदन मे प्रवेश कर दर्शक दीर्घा मे ऐसी जगह जाकर बैठ गये जहाँ से बम पूर्व निर्धारित निशाने पर फेंके जा सकें। वास्तव में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दो बम ऐसे स्थान पर फेंके जहाँ पर सरकारी पक्ष के सदस्य बैठे थे. बमों के फटने से जोरदार धमाका हुआ और सदन में धुआँ फैल गया। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त चाहते तो भाग सकते थे क्योंकि वहाँ अफरा तफरी मच गयी थी लेकिन उन्होंने दर्शक दीर्घा में ही खडे रह कर लाल पर्चे फेंके जिनमें स्पष्ट किया गया था कि अंधी और बहरी अंग्रेजी सरकार को राष्ट्रीय संकल्प से अवगत करने के लिये इन बमों के द्वारा किया गया धमाका जरूरी था. पुलिस द्वारा उन्हे गिरफ़्तार कर बेहूदा व्यवहार करते हुए पहले इसी संसद मार्ग थाने और फिर चांदनी चौक पुलिस स्टेशन ले जाया गया था.
इसे संयोग ही कहूँगा अन्यथा सामान्य परिस्थितियों में थाना परिसर के अन्दर पहुंचकर इस स्वातंत्र्य वीर तीर्थ की जानकारी और दर्शन कर पाना असंभव सा ही था !!
वंदीगृह के अन्दर का दृश्य .....
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