रुक जा__
कुछ पल और अभी
कि दिल भरा नहीं,
यकीं है कि
लौटेगा फिर जरूर
मगर___
सब्र मुझमें उतना नहीं ..
कुछ पल और अभी
कि दिल भरा नहीं,
यकीं है कि
लौटेगा फिर जरूर
मगर___
सब्र मुझमें उतना नहीं ..
.. विजय जयाड़ा
. बादलों के बीच लुका-छिपी से मनोहारी दृश्य उत्पन्न करता चाँद, अपनी रात्रि कालीन यात्रा पूरी कर लौटने को था. मैं नजरें गड़ाए चाँद के स्पष्ट दिख जाने की चाह में काफी देर इन्तजार करता रहा लेकिन ज्यों ही चाँद स्पष्ट दिखा ! ऑटो भी चल दिया !!
लेकिन मैंने रिस्पना पुल, देहरादून पर चलते ऑटो से भोर के चार बजे ये तस्वीर क्लिक कर ही ली ..
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